अंतर्राष्ट्रीय समृद्धि सृजन संस्थान
समृद्धि की हमारी परिभाषा:
परिवार की आवश्यकता से परे, समृद्धि या तो मूर्त या अमूर्त वर्तमान समय में उत्पादित अधिशेष है; इसलिए इसका मालिक, निडर होकर किसी के भी साथ साझा कर सकता है; भले ही परस्पर वे एक दूसरे को जानते ही न हों।
इसे इस रूप में भी दर्शाया जा सकता है:
समृद्धि = सार्थक संबंध + स्वास्थ्य + उद्देश्य + स्वतंत्रता + मन की शांति
समृद्धि की आकांक्षा मनुष्य को पशु से अलग करती है।
सनातन स्थैर्य की आकांक्षा एक कृषि प्रधान को समुद्री डाकू या खानाबदोश से अलग करती है।